Istelahat-e-Mehdaviya – Hindi
बिरादरान व ख़्वाहरान के लिए “इस्तिलाहात-ए-मेहदविया” के नाम से ये किताब पेश की जा रही है।
इस्तिलाहात की अपनी अहमिय्यत होती है। क़ानूनी, तिजारती, मज़हबी या तकनीकी मुआमलात में इस्तिलाहात मुरव्विज हैं।
क़ौम-ए-मेहदविया में भी इस्तिलाहात का चलन आम है। बिलखुसूस नौजवानों की मालूमात के लिए मजलिसे दफ़ा-ए-हक़ की जानिब से एक कोशिश की गई है। उम्मीद है कि क़ारिईने किराम मुस्तफ़िद होंगे। मुम्किन है कि बाज़ अहम इस्तिलाहात छूट गए हों और मुम्किन है कि बाज़ ग़लतियां भी हो गई हों। आप से इल्तिमास है कि हमें आगाह फरमाएं, ता कि इन्शा अल्लाह, दूसरे एडिशन में छूटी हुई इस्तिलाहात को शामिल किया जाए और ग़लतियों को दूर किया जाए।
मुसद्दिक़ीन से मारूज़ा है कि हमारी क़ौमी इस्तिलाहात जैसी चली आ रही हैं-वैसी ही हमारे बोलने और लिखने में जारी रहें। तब्दीली नामुनासिब है। मसलन् “हज़ीरा” को हज़ीरा ही बोला जाए, ना कि क़ब्रस्तान। वक़्ते त्आम “अल्लाह दिया” कहने के बजाए “बिस्मिल्लाह शुरू कीजिए” नहीं कहना चाहिए।
इस किताब की तैयारी के लिए हज़रत सैयद कुतुबुद्दीन उर्फ़ ख़ूबमियां साहब पालनपूरी (रह.) की किताब “हुदूदे दायरा-मेहदविया” और हज़रत ख़ुदाबख़्श रश्दी साहब किब्ला (रह.) का “रिसाला नाफ़िआ” और “चरागे दीने महदी (अ.स.)” से मदद ली गई है और बाज़ क़ौमी कुतुब से भी मदद ली गई है।